manmohan singh Biography 1932 – 2024
आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री बने यह भारत के उन चुनिंदा पॉलीटिशियंस में से हैं जिन्होंने अपनी साफ छवि की वजह से विरोधियों के बीच भी काफी रिस्पेक्ट कमाई है लेकिन आखिर क्यों जानेंगे मनमोहन सिंह की पूरी डिटेल बायोग्राफी की किस तरह से वह एक आम परिवार से निकलकर आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री बने प्राइम मिनिस्टर का जन्म 26 सितंबर 1932 को गुलाम भारत के पंजाब के चकवाल जिला के नाम के गांव में हुआ था
live from Manmohan Singh
Manmohan Singh जो फिलहाल अभी पाकिस्तान के हिस्से में आता है इनके पिता का नाम गुरमुख सिंह था वहीं की मां का नाम अमृत कौर था जिन्हें मनमोहन ने अपनी टीनएजर्स में ही खो दिया था जिसकी वजह से उनका पालन पोषण उनकी दादी के संरक्षण में हुआ बचपन से ही मनमोहन सिंह तेज दिमाग के थे और उनका पढ़ने में बहुत मन लगता था इस वजह से वह अपनी क्लासेस में टॉपर समय वजह से उनकी फैमिली अमृतसर शिफ्ट हो गई
जहां Manmohan Singh अमृतसर के हिंदू कॉलेज में एडमिशन ले लिया फिर उसके बाद उन्होंने होशियारपुर में मौजूद पंजाब यूनिवर्सिटी आफ कैमरे से एसोसिएटेड सेंट जॉन’एस कॉलेज यूनिवर्सिटी का ऑक्सफोर्ड के डॉक्टरेट का फिलासफी यूनाइटेड किंगडम से इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भरपूर शिक्षा लेने के बाद मनमोहन सिंह और भारत वापस आने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में उन्हें इकोनॉमिक्स के रूप में नियुक्त किया गया जहां उन्होंने 2 सालों तक 1963 में उन्होंने यूनाइटेड नेशंस के डिवीजन के लिए काम करने का फैसला कर यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट एक एक इंटरगवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन थी तो वर्ल्ड ट्रेड को प्रमोट करने का काम करती थी और इसी में काम करने के लिए मनमोहन सिंह को एक बार फिर भारत से दूर जाना पड़ा यूनाइटेड नेशंस के लिए 3 साल काम करने के बाद मनमोहन सिंह वापस इंडिया और इंडिया वापस आने के बाद उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ़ फॉरेन ट्रेड के एडवाइजर के रूप में अप्वॉइंट किया गया इसके बाद साल 1972 में मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस के चीफ एग्जीक्यूटिव एडवाइजर के रूप में नियुक्ति मिली प्रदर्शन के दम पर उन्हें फाइनेंस मिनिस्ट्री का सेक्रेटरी बना दिया गया और यह वाकई में बहुत बड़ी रिस्पांसिबिलिटी रिस्पांसिबल होते हैं इकोनामी स्टेबल मॉनिटरिंग के लिए करीब ढाई सालों तक आरबीआई गवर्नर के रूप में काम करने के बाद साल 1985 में उन्हें प्लानिंग कमीशन का डिप्टी चेयरमैन बनाया गया
life struggle in prime minister manmohan singh
जहां उन्होंने 1987 तक विश्वनाथ प्रताप सिंह इंडिया के प्राइम मिनिस्टर बने तब उन्हीं के शासनकाल में मनमोहन सिंह को इकोनामिक अफेयर्स के क्षेत्र में प्राइम मिनिस्टर का एडवाइजर बनाया गया और इस तरीके से डायरेक्टली और इनडायरेक्ट मनमोहन सिंह पॉलिटिक्स में भी इंटर कर चुके थे और यह चीज पब्लिकली देखने को तब मिली जब जून 1991 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने Manmohan Singh को अपनी टीम का मेंबर बनते हुए फाइनेंस मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी थी और इस तरीके से मनमोहन सिंह को सरकार के कैबिनेट में राजनीति में अपनी शुरुआती अनुभव का जिक्र करते हुए मनमोहन सिंह ने एक ब्रिटिश जर्नलिस्ट प्राइम मिनिस्टर ने अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी के द्वारा उन्हें करवाया कि राव साहब आपको मिनिस्टर ऑफ फाइनेंस बनाना चाहते हैं तो मैं इस बात को बिल्कुल भी सीरियसली एजुकेटेड फाइनेंस मिनिस्टर की जरूरत क्योंकि साल 1990 तक देश की इकोनॉमी कंडीशन स्थिति में थी कि भारत अपनी इंटरनेशनल कमिटमेंट फुलफिल नहीं कर पा रहा था
और संकट से निपटने के लिए लोन लेने के लिए सोना गिरवी रखने के अपमानजनक उपाय का सहारा लेना पड़ रहा है तो इंडियन इकॉनमी की स्थिति स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था खैर अपनी कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह को कुछ कंट्रोवर्शियल मुद्दों के लिए काफी क्रिटिसाइज भी किया गया क्योंकि इन्हीं के कार्यकाल के दौरान 1992 का इंडियन स्टॉक मार्केट काम भी हुआ था इसे स्कैन 1992 के लिए व्यापक नीतियों के निर्धारण में उनकी भूमिका को सभी ने खूब सराय क्योंकि इसी बीच Manmohan Singh वित्त मंत्री के रूप में अच्छा काम कर बल्कि उन्होंने भारत की उसे आर्थिक स्थिति को सुधार जिसकी वजह से भारत के अर्थव्यवस्था कैमरा भी सकती थी और उनकी कंट्रीब्यूशन का जिक्र करते हुए इंडियन पॉलीटिशियन स्पीच आडंब्रमण ने उनकी तुलना चाइनीस पॉलिटिशियन चीन के वो रिवॉल्यूशनरी लीडर थे जिन्हें चाइनीस इकोनामिक रिफॉर्म के लिए भी रिस्पांसिबल मनाया जाता है वैसे तो मनमोहन सिंह ज्यादातर समय के लिए राज्यसभा मेंबर के तौर पर ही पार्लियामेंट के सदस्य रहे थे लेकिन 1999 में उन्होंने साउथ दिल्ली की लोकसभा कांस्टीट्यूएंसी से इलेक्शन भी लड़ा था
पर अफसोस वो अपनी सीट नहीं बचा सके आज तक मनमोहन सिंह कोई लोकसभा सीट नहीं जीत पाए हो लेकिन फिर भी जनता का शुरू से ही काफी अच्छा समर्थन रहा था मनमोहन सिंह के लिए क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार एक स्वच्छ राजनेता के रूप में देखा गया था और शायद इसी वजह से 2004 के लोकसभा इलेक्शंस में कांग्रेस को जनता का भरपूर समर्थन मिला और 22 में 2004 को मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और कार्यभार संभालते ही मनमोहन सिंह की सरकार ने सबसे पहले हेल्थ पर काम करना शुरू किया और हेल्थ केयर पर काम करते हुए हेल्थ मिनिस्ट्री ने अप्रैल 2005 में नेशनल हेल्थ कमिश्नर को लांच कर इसका परपज रूरल एरिया की हेल्थ नीड्स को फुलफिल करना था और मनमोहन सिंह के इनीशिएटिव को अमेरिकन इकोनॉमिस्ट सेक्स में भी खूब प्रीति किया था हेल्थ केयर पर ध्यान देने के अलावा इन्होंने एजुकेशन पर भी खूब फोकस कर क्योंकि किसी भी गवर्नमेंट कोई समझना चाहिए कि अगर वास्तव में हमें अपने देश का विकास करना है तो इन चीजों पर ध्यान देना ही होगा नेशनल हेल्थ मिशन के बाद साल 2006 में मनमोहन सिंह वाली सरकार एम्स आईआईटी और आईआईएम के 27% की को रिजर्व करने के प्रपोजल को इंप्लीमेंट किया इसके साथ ही आंध्र प्रदेश बिहार गुजरात उड़ीसा पंजाब मध्य प्रदेश राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में आठ ईट का भी निर्माण कर इसी साल उन्होंने मनरेगा की शुरुआत भी करी एक ऐसा एक्ट आया जिसे सरकार और जनता के रिश्ते को बदला यह तय करना कि सरकार लोगों को अपने गांव के आसपास रोजगार दिलाई थी अपने आप में बहुत बड़ा कदम था साथी एक ऐसा प्रोग्राम था
जिसमें औरतों को प्राथमिकता दी गई यह प्रोग्राम पूरे परिवार को टारगेट करता था सरकारी जिम्मेदारियां की बाद में इसमें भी भ्रष्टाचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एक्ट की आलोचना करते हुए यह कहा था कि मनमोहन सिंह की सरकार की सबसे बड़ी असफलताओं के रूप में याद करा जाएगा पर उन्होंने भी इस एक्ट को खत्म नहीं किया राइट ऑफ चिल्ड्रन तो फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट को इंट्रोड्यूस किया जिसके अंतर्गत करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान को प्रोत्साहित किया गया अटल बिहारी वाजपेई जी के द्वारा ही रखी गई थी जिसमें मिड डे मील उसको इंप्रूव करने पर विशेष ध्यान दिया गया इसके अलावा 28 जनवरी 2009 को इंडियन सिटीजंस के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी कि यूआईडी की व्यवस्था की गई और यह भैया अथॉरिटी है जो आपके 12 डिजिटल यूनिक आइडेंटिटी नंबर वाले आधार कार्ड को ऑथराइज करती है उसके बाद 29 अगस्त फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन एंड रिसेटेलमेंट एक्ट 2013 के लोकसभा इलेक्शन में कांग्रेस पार्टी को हराते हुए भाजपा और उसकी गठबंधन ने जीत दर्ज की
manmohan singh primister ka pad kyo chhodne pade
जिसकी वजह से मनमोहन सिंह को प्राइम मिनिस्टर का पद छोड़ना पड़ा इसके बाद उन्होंने नए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की स्वीरिंग इन सेरिमनी में भी पार्टिसिपेट किया जिसमें उनके साथ श्रीमती सोनिया गांधी एपीजे अब्दुल कलाम श्रीमती प्रतिभा पाटिल और हामिद अंसारी मौजूद थी और इस तरीके से मनमोहन सिंह पॉलिटिकल आईएनएक्टिव होंगे मनमोहन सिंह को कई अवार्ड से भी सम्मानित किया गया जिसमें सबसे प्रमुख था इंडिया सेकंड हाईएस्ट सिविलयन अवॉर्ड आफ किंग अब्दुल अज़ीज़ और जापान के द्वारा दिया गया आर्डर ऑफ़ द फॉलोइंग इंडिया फ्लावर्स अवार्ड पर इन अवॉर्ड्स के अलावा उनके ऊपर एक मूवी भी बनाई गई थी इसका टाइटल प्राइम मिनिस्टर श्रीमती गुरशरण कौर के साथ शादी करी और आज उनके तीन बच्चे भी है मोस्ट पॉपुलर फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर्स मनमोहन सिंह प्राइम मिनिस्टर की भी जिंदगी के ऊपर उनका नाम कमेंट में जरूर बताइएगा